सनातन शिव से जुड़े कई रहस्य हैं जो हममें से कई आज भी नहीं जानते हैं । ऐसा ही एक रहस्य है शिव के बाघम्बर होने का यानी बाघ की खाल को पहनने का । जानें क्या है इसके पीछे की कहानी ।
New Delhi, Oct 11 : भोलेनाथ, भोले, शिव शंभू, शंकर ऐसे कई नाम है शिवजी के । इसी में से एक नाम है बाघम्बर । शिव का ये नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वो बाघ की खाल पहनते हैं । लेकिन भगवान शंकर बाघ की खाल क्यों पहनते हैं, इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं । भगवान शिव एकमात्र ऐसे भगवान हैं जिनके स्वरूप का वर्णन बेहद अश्चर्यजनक है । भोलेनाथ के स्वरूप का वर्णन किया जाए तो उनके एक हाथ में त्रिशूल है तो वहीं दूसरे हाथ में डमरू है, शरीर पर भस्म रमाई है तो वहीं जटाओं से गंगा की धार बह रही है और गले में नाग और रुद्राक्ष की मालाएं हैं ।
भोलेनाथ का ये स्वरूप देखकर आपने भी कई बार सोचा होगा कि आखिर भगवान शंकर ऐसे क्यों हैं । वो बाघ की खाल क्यों पहनते हैं । इसके अलावा शिव, कभी कुछ और पहने हुए क्यों नहीं नजर आते । बाघ की खाल से आखिर शिव का क्या संबंध है । आपने गौर किया होगा कि शिव बाघ की खाल पर ही बैठे हुए भी नजर आते हैं । आइए आपको बताते हैं शिव और बाघ की खाल से जुड़े इस रहस्य के बारे में । शिव से जुड़े कई सवालों के जवाब हमें शिव पुराण में मिलते हैं । इसी में शिव और बाघ की खाल से जुड़ी एक कहानी का जिक्र आता है ।
शिव पुराण के अनुसार भोलेनाथ भगवान शंकर एक बार ब्रह्मांड घूमते हुए एक जंगल से गुजर रहे थे । वो निर्वस्त्र थे, क्योंकि वो तब तक कुछ भी नहीं पहनते थे । शिव को ऐसा देख जंगल में रहने वाले ऋषि मुनियों ने उनके मार्ग में एक गड्ढा बना दिया । शिव भी अपनी धुन में मग्न आगे बढ़ते जा रहे थे, ऐसे ही वो मार्ग में बने गड्ढे में गिर गए । जैसे ही ऋषि – मुनियों को ये बात पता लगी उन्होने एक बाघ को भी उसी गड्ढे में डाल दिया । ऋषि तब तक भगवान शंकर की महिमा नहीं जानते थे, उन्हें लगा कि बाघ उस व्यक्ति को मारकर खा जाएगा ।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ, गड्ढे से जब भोलेशंकर निकले तो उन्होने बाघ की खाल पहनी हुई थी । उन्होने बाघ को मारकर उसकी खाल पहन ली थी । तब ऋषि-मुनियों को भान हुआ कि वो कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु ईश्वरीय शक्ति हैं । मान्यता है कि तब से भोलेनाथ बाघ की खाल पहनते आ रहे हैं । भोलेनाथ अकेले ऐसे भगवान हैं जो अपने भक्तों की छोटी सी कोशिश से ही प्रसन्न हो जाते हैं । बाघम्बर शिव की आराधना मात्र जंगली पत्र बेल पत्र से करने से ही वो प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं । कुंवारी कन्याओं को शिव का उपवास रखने की सलाह दी जाती है, खास तौर पर सोलह सोमवार के व्रत अगर आपने कर लिए तो कन्या भोले के जैसे वर की अधिकारी हो जाती है ।