बुधवार को बेटियों की विदाई नहीं करनी चाहिए, ऐसा क्यों कहा जाता है, जानने के लिए पढ़िए ये दिलचस्प खबर, बुध देव के प्रकोप से बचने में मदद करेगी।
New Delhi, Oct 10: हम आपके सामने रोज कुछ दिलचस्प खबरें, परंपराएं, रिवाज लेकर आते हैं। जिनके बारे में जान कर आपका ज्ञान बढ़ता है। भले ही आप इन बातों को न मानें, लेकिन फिर भी इनके बारे में जानकारी तो होनी चाहिए। हमारे देश में तो वैसे भी कई तरह की परंपराएं और रिवाज हैं. हर इंसान की अपनी मान्यताएं और विश्वास हैं। एक से एक अनोखे रिवाज हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक परंपरा के बारे में बताने वाले हैं। बुधवार से जुडी एक मान्यता के बारे में बतानें जा रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि बुधवार के दिन बेटियों को ससुराल नहीं भेजना चाहिए। हम यही बताएंगे कि ऐसा क्यों माना जाता है।
ये माना जाता है कि बुधवार के दिन बेटियों को विदा नहीं किया जाना चाहिए, ऐसा करने पर आपकी बेटी को दुखों का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर उस समय तो ऐसा बिलकुल न करें जब आपकी बेटी की बुध ग्रह की दशा ठीक न हो। ये भी कहा जाता है कि बुध के दिन बेटी को विदा करनें से रास्ते में कोई हादसा होनें की आशंका बनी रहती है। केवल इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि इससे बेटी के ससुराल वालों से संबंध खराब हो जाते हैं। इसे अपशकुन माना जाता है। इसके कारण हम आपको बताएंगे, ये भी बताएंगे कि ये मान्यता कहां से शुरू हुई थी। दंतकथाओं के मुताबिक बुध ग्रह चांद को अपना दुश्मन मानता है। लेकिन चंद्रमा बुध को अपना दुश्मन नहीं मानता है।
शास्त्रों में चंद्रमा को यात्रा का करक माना जाता है, वहीं दूसरी तरफ बुध को धनलाभ का कारक माना गया है। यही कारण है कि कहा जाता है कि बुध को यात्रा करना हानिकारक हो सकता है। आपका बुध खराब है तो दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। क्या आप जानते हैं कि बेटियों को बुधवार के दिन क्यों नहीं विदा करना चाहिए, इसके बारे में एक और कथा है। काफी समय पहले की बात है। मधुसूदन नाम के साहूकार की शादी बहुत ही गुणी कन्या संगीता से हुई थी। मधुसूदन ने अपने ससुराल वालों से बुधवार के दिन संगीता को विदा करनें के लिए कहा। संगीता के माता-पिता उसे विदा नहीं करना चाहते थे। उन्होंने दामाद को बहुत समझाया पर वह नहीं माना। दामाद के कहने पर परिवार वालों ने बुधवार के दिन संगीता को विदा कर दिया। दोनों बैलगाड़ी से लौट रहे थे कि बैलगाड़ी का पहिया टूट गया। दोनों पैदल ही चलनें लगे।
कुछ दूर चलनें के बाद संगीता को प्यास लग गयी। मधुसूदन उसे एक पेड़ के निचे बैठाकर पानी लेने चला गया। थोड़ी देर बाद वह वापस आया तो देखकर हैरान हो गया। उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल का एक दूसरा आदमी बैठा हुआ था। दोनों में काफी विवाद हुआ, मामला राजा के पास पहुंचा, राजा फैसला करने में नाकाम रहा तो दोनों को जेल में डाल दिया। उसके बाद आकाशवाणी हुई, जिसमें कहा गया कि मधुसूदन ने बुधवार को संगीता की विदाई करवाई इसलिए ये सब हुआ। ये बुध देव का प्रकोप है। मधुसूदन ने अपनी गलती मानी तो बुध देव ने उसे माफ कर दिया और उसकी पत्नी संगीता उसके पास वापस लौट आई।